Monday, December 23, 2013

यह एक दिन

कई बार
आशाओं से निरंतर मुठभेड़ भी
ले जाती है आत्महत्या तक।
आज की रात
ड्राई लीव्स - दिएनेका
यही सुनना है मुझे येसेनिन के मुँह से
और उसके फैसले को गलत बताने के लिए ज़रूरी नहीं है मायकोव्स्की का होना।
वह समय था जब
अनसुलझे थे जीवन और कविता के
कई सवाल
जिन्हें हमारे समय में
हल किया जाना है
या फिर आने वाले समय में।
 आज का कवि है
इस विश्वास की हिफाजत के लिए  
और ज़रूरी कि
इस खातिर बचा कर रखे जाएँ
कुछ यादगार उदास दिन,
कुछ परछाईयाँ, कुछ धब्बे, कुछ असफल और कुछ कमजोर कवितायें,
कुछ टूटे रिश्तों और कुछ लौटे साथियों की यादें,
कुछ पुराने नक़्शे,
कुछ चिट्ठियाँ, कुछ रिक्तताएँ
और कुछ झूठी गवाहियां भी
ताकि उजले दिनों में
वहाँ तक लाने वाले रास्तों की
शिनाख्त की जा सके।

(अंतिम हिस्सा)

कात्यायनी 

फुटपाथ पर कुर्सी से

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