Thursday, January 23, 2014

मनुष्य तो नदियों के समान होते हैं

यह मिथ्या विश्वास बहुत प्रचलित है कि हर मनुष्य में कोई न कोई गुण होता है: किसी में दयालुता है, किसी में निर्दयता, कोई बुद्धिमान है तो कोई बेवकूफ, कोई चुस्त है तो कोई सुस्त। लेकिन वास्तव में लोग ऐसे नहीं होते। हम यह कह सकते हैं कि एक मनुष्य का व्यवहार अधिकतर दयालुता का होता है, निर्दयता का कम, वह अधिकतर सूझ बुझ से काम लेता है, बेवकूफियां कम करता है, अधिकतर चुस्त रहता है, सुस्त कम। या हम इसके उलट कह सकते हैं। लेकिन यह कहना गलत होगा कि एक आदमी दयालु या बुद्धिमान है, और दूसरा बुरा या मूर्ख है। लेकिन फिर भी हम लोगों को हमेशा इसी तरह श्रेणियों में बांटते रहते हैं। और यह सर्वथा असत्य है। मनुष्य तो नदियों के समान होते हैं। सभी नदियों में एक सा ही जल बहता है। लेकिन प्रत्येक नदी का पाट किसी जगह पर तंग है, कहीं पर वह तेज़ बहने लगती है, कहीं पर सुस्त हो जाती, कहीं अधिक चौड़ी, किसी जगह पर उसका पानी  साफ़ है, तो किसी जगह गंदला, कहीं पर ठंडा तो कहीं पर गरम। यही स्तिथि मनुष्यों की भी है। 
तोल्स्तोय 
(पुनरुत्थान)

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