Tuesday, June 4, 2019

बस यही अपना...

एक परदा रोशनी का
एक चादर उदासी की
एक गठरी भूल-चूकों की
एक दरवाज़ा स्‍मरण का
एक आमंत्रण समय का
एक अनुभव निकटता का
बस यही निज का रहा।
शेष सब साझा हुआ
सफ़र में जो साथ
उन सबका हुआ।
-कात्‍यायनी (2006)

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