ये समय है कि
वातानुकूलित परिवेश-अनुकूलित
गंजी-तुंदियल या छैल-छबीली वाम विद्वताओं से
अलग करें हम अपने आप को,
संस्कृति के सेानागाछी दलालाें के साथ
मण्डी हाउस या इण्डियन इण्टरनेशनल सेण्टर में काफ़ी पीने का लम्पट-बीमार मोह त्यागें,
हमें
निश्चय ही,
निश्चय ही,
निश्चय ही,
अपने लोगों के बीच होना है।
हमें उनके साथ एक यात्रा करनी है
प्रतिरक्षा से दुर्द्धर्ष प्रतिरोध तक।
इस फ़ौरी काम के बाद भी
हमें सजग रहना होगा।
ये हमलावर लौटेंगे बार-बार आगे भी, क्योंकि
विनाश और मृत्यु के ये उन्मादी दूत,
पीले बीमार चेहरों की भीड़ लिए अपने पीछे
चमकते चेहरे वाले ये लोग ही हैं
इस तंत्र की आखिरी सुरक्षा पंक्ति।
-कात्यायनी
(आह मेरे लोगो! ओ मेरे लोगो!)
वातानुकूलित परिवेश-अनुकूलित
गंजी-तुंदियल या छैल-छबीली वाम विद्वताओं से
अलग करें हम अपने आप को,
संस्कृति के सेानागाछी दलालाें के साथ
मण्डी हाउस या इण्डियन इण्टरनेशनल सेण्टर में काफ़ी पीने का लम्पट-बीमार मोह त्यागें,
हमें
निश्चय ही,
निश्चय ही,
निश्चय ही,
अपने लोगों के बीच होना है।
हमें उनके साथ एक यात्रा करनी है
प्रतिरक्षा से दुर्द्धर्ष प्रतिरोध तक।
इस फ़ौरी काम के बाद भी
हमें सजग रहना होगा।
ये हमलावर लौटेंगे बार-बार आगे भी, क्योंकि
विनाश और मृत्यु के ये उन्मादी दूत,
पीले बीमार चेहरों की भीड़ लिए अपने पीछे
चमकते चेहरे वाले ये लोग ही हैं
इस तंत्र की आखिरी सुरक्षा पंक्ति।
-कात्यायनी
(आह मेरे लोगो! ओ मेरे लोगो!)
No comments:
Post a Comment