जानते थे हम
एक दिन हमें पीछे हटना होगा.
हम अभी कमज़ोर हैं,
बहुत अधिक कमज़ोर,
ब्यूनस आयर्स और मेक्सिको सिटी
और वाशिंगटन सिटी कि हत्यारी शक्ति के आगे.
इसलिए आओ हत्यारो,
यह समय तुम्हारा है.
अभी पारी तुम्हारी है.
आओ,
कंटीले तारों, संगीनों,
शिकारी कुत्तों, सिक्कों और बलात्कारी पौरुष के साथ
और कहो
अपने विद्वान तुंदियल मकड़ों से
पांडित्य के बारीक नीले धागों से
जाला बुनने के लिए,
नकली गरिमा भरे भारी-भरकम शब्दों से
ओस और आँसूं सने पंखों को
कुचल देने के निर्देश दे दो
हाथों में कलम साधे जल्लादों को,
दीमकों से कहो, वे फिर से
हमारी आत्माओं में घुसकर
अपना काम शुरू कर दें.
हमारा 'युनाम'
हम दो लाख सत्तर हज़ार युवाओं का 'युनाम'
अब फिर तुम्हारा है.
पर याद रखना
हमारे कब्ज़े के नौ माह,
हमारी इस लड़ाई ने
धारण किया गर्भ में
फिर से एक विचार, एक स्वप्न.
उसे तुम मार नहीं सकते.
जैसे पहाड़ों में जीवित है
ज़पाटिस्टा आग,
वैसे ही हमारे दिलों में
सुलगता रहेगा.
ट्रेड यूनियनों के मददगार साथियो,
जांबाज़ ज़पाटिस्टा कामरेडो,
शुक्रिया नहीं कहेंगे तुम्हें,
कहेंगे, 'संघर्ष ज़िंदाबाद'
इक्कीसवीं सदी के जलते मेक्सिको में,
हम जानते हैं कि
हमने लड़ाई में गलतियाँ भी कीं
नासझी भरी, बचकानी, युवा-सुलभ,
पर हमने सिखा.
यह सिखने
और याद रखने कि एक छोटी सी लड़ाई थी.
हमने पाया कि
हमें भुला नहीं है 2 अक्टूबर 1968 का दिन,(2)
न गलियों में बहता वह लहू, न संगीनें,
न धुआं, न राख.
हमने पाया कि
हम लड़ सकते हैं
और यह भी कि
लोग हमारे साथ हैं.
शुक्रिया पिताओ और माताओ
कि आँसूं जज़्ब करते हुए
दुखते दिलों को दबाकर
तुमने हमसे कहा, 'डटे रहो.'
शुक्रिया नागरिको,
उस रसद के लिए
जो तुमने हमारे सामूहिक भोजनालयों में भेजी.(3)
घबराना नहीं,
उनकी जेलें तोड़ नहीं सकतीं
जुआन कार्लोस ज़राते, रोड्रिगो फिगुएरोवा,
रिकार्डो मार्तम्नेज़ और अलेक्ज़ांड्रो इचेवार्रिया(4)
और उन जैसे दूसरों को.
हमने महज़ एक छोटी सी लड़ाई लड़ी है
सीखने की,
याद करने की
और जुड़ने और जोड़ने की
और तैयारी करने कि
और यह छोटी-सी लड़ाई लड़ी है
चीले में सांतियागो, वाल्पारैसो, कांसेप्सियोंन
और एरिका के
और बोलीविया में सान्ताक्रुज़ के
हमारे भाइयों ने. (5)
हम समझने लगे हैं
कि चीज़ों को अँधेरे से बाहर लाकर
पहचान देना कितना ज़रूरी है,
कितना ज़रूरी है
खोयी हुई चीज़ों को
वाल स्ट्रीट से वापस लाना
अपने जंगलों और अपनी नदियों कि तलहटी में
और यह जानना कि
हमारी लातिनी दुनिया कि ज़िन्दगी
अँधेरे में खड़ी पत्थर कि दीवार नहीं है.
हम कहेंगे उनसे कि
तुम ऐसा नहीं कर सकते,
हमारी दुनिया का रहस्य
तुम्हारी मण्डी में बिकने के लिए नहीं है.
उसे लौटा दो
हमारे जंगलों कि बसंत कि फड़फड़ाहट
और प्यारे बूढ़े पतझड़ और स्वप्नों
और पानी के विद्रोह के साथ.
हम समझने लगे हैं
दुनिया कि तमाम लड़ाइयों
और पराजयों
और दुरभिसन्धियों को.
यह तो जानते थे हम
कि हमें इस बार पीछे हटना होगा.
अभी जो धुल बैठ रही है
चीजों पर,
उसे वहाँ बैठना ही है
क्योंकि वह उड़ चुकी है.
वह झाड़ी जाएगी
महाद्वीपों की चादरों से
बहुत मेहनत, तरतीब और सलीके के साथ.
फिर एक बार इन्द्रधनुष कि
प्रत्यंचा खिंचेगी और छूटेगी
और तीर कि तरह यह सदी
एक नयी, बड़ी दुनिया में जा गिरेगी.
शशि प्रकाश
संदर्भ
1. अप्रैल 1999 में लातिनी अमेरिका के सबसे बड़े विश्वविद्यालय 'नेशनल ऑटोनोमस यूनिवर्सिटी ऑफ़ मेक्सिको' (युनाम) के २,70,000 छात्र-छात्राओं ने फीस में भयंकर बढ़ोतरी के खिलाफ ज़ोरदार आन्दोलन शुरू किया था. 25 अप्रैल को हड़ताली छात्रों ने युनाम के विशाल कैम्पस पर कब्ज़ा कर लिया और एक ऐतिहासिक लड़ाई शुरू की. नौ महीने तक विश्वविद्यालय छात्रों के कब्ज़े में रहा और छात्रों-युवाओं-शिक्षकों-करमचारियों-मजदूरों और किसानों के एकजुट संघर्ष की अविस्मरणीय मिसालें यहाँ कायम हुयीं. 6 फरवरी 2000 को अर्धसैनिक बलों और भारी पुलिस बल ने धावे बोलकर इस आन्दोलन को कुचल दिया.
2. दो अक्टूबर 1968 को सेना ने छात्रों के एक प्रदर्शन पर बर्बर हमला किया जिसमें 60 से ज़्यादा नौजवान मारे गए और सैकड़ों घायल हो गए.
3. युनाम पर नौ महीने के कब्ज़े के दौरान छात्र सामूहिक भोजनालय चलते थे जिसके लिए अभिभावक, मज़दूर यूनियनें और आन्दोलन के शुभचिंतक हर हफ्ते कई टन खाद्य-सामग्री भेजते थे.
4. सादी वर्दी में पुलिस के लोगों ने बहुत से छात्रों कि पिटाई की. इनमें छात्रों के नेता रिकार्डो मार्तम्नेज़ और अलेक्ज़ांड्रो इचेवार्रिया के नेता कार्लोस ज़राते, रोड्रिगो फिगुएरोवा भी शामिल थे.
5. चीले के चार प्रमुख शहरों-सांतियागो, वाल्पारैसो, कांसेप्सियोंन और एरिका में 20 मई 1999 को छात्रों ने और नवम्बर में बोलीविया के सांताक्रूज़ विश्वविद्यालय की स्वायत्तता ख़त्म करने के विरोध में उग्र प्रदर्शन किये.
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