जिंदगी के हालात को बदलने की सतत प्रक्रिया के दौरान, स्मृति हमारी मति को समृद्ध करती है और फिर प्रज्ञा आलोकित होती है. प्रज्ञा फिर हमारी मति को समृद्ध करती है और मति फिर स्मृति को ज़रूरी मार्गदर्शन के लिए टटोलती हुयी उसका नवीनीकरण करती है और इस क्रम को हर बार उन्नततर धरातल पर दोहराया जाता है.
(बिगुल, मई २०१० से साभार)
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