हिम्मत से सीना तानो!
ये बुरे दिन जल्द ही छुट जायेंगे
आज़ादी के दुश्मन के खिलाफ खड़े हो जाओ
एकजुट होकर!
बसंत आएगा ... वह आ रहा है ...
वह आ रहा है ...
अनोखी खूबसूरत हमारी
बहुवांछित वह लाल आज़ादी
आगे आ रही है! देखो इधर
हमारी ओर ...
लेनिन
(1905-1907 की रूसी क्रांति की हार के बाद लिखी कविता)
No comments:
Post a Comment