Wednesday, November 7, 2012

अक्टूबर क्रांति की वर्षगाँठ पर ....

हिम्मत से सीना तानो!
ये बुरे दिन जल्द ही छुट जायेंगे 
आज़ादी के दुश्मन के खिलाफ खड़े हो जाओ 
एकजुट होकर!
बसंत आएगा ... वह आ रहा है ...
वह आ रहा है ...
अनोखी खूबसूरत हमारी 
बहुवांछित वह लाल आज़ादी 
आगे आ रही है! देखो इधर 
हमारी ओर  ... 


लेनिन
(1905-1907 की रूसी क्रांति की हार के बाद लिखी कविता) 

No comments:

Post a Comment